ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम घर के लिए बैटरी बैकअप के साथ।
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम बैटरी आधारित सिस्टम है जिन्हे बिजली जनरेट के लिए सरकारी ग्रिड की आवश्यकता नहीं होती है। यह सोलर पैनल, सोलर बैटरी और सोलर इन्वर्टर के साथ कम्पलीट सोलर सेटअप है। दूसरे सोलर सिस्टम की तरह ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम सूर्य के प्रकाश को बिजली में कन्वर्ट के लिए सोलर पैनल का उपयोग करते है।
दिन में यह सोलर सिस्टम कनेक्टेड लोड चलाएगा और बैलेंस एनर्जी सोलर बैटरी में स्टोर हो जाएगी। दिन के समय, सोलर सिस्टम सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके बिजली जनरेट कर घरेलू उपकरणों को चलाता है और अतिरिक्त पावर बैटरी बैंक में स्टोर करता है। रात में सूरज की रोशनी नहीं होती है तो उपकरण चलाने के लिए यह सिस्टम बैटरी में स्टोर पावर का उपयोग करता हैं।
आपके द्वारा इंस्टॉल किए जाने वाले सोलर सिस्टम टाइप के बारे में जानकारी का पता करना चाहिए। इस आर्टिकल में, आपको ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम से संबंधित सभी सवालों के जवाब मिलेंगे।
सोलर सिस्टम पर पैसा खर्च करना एक बार का निवेश है, यदि आपने सोलर पावर प्लांट इंस्टॉल करने का फैसला किया है, तो आपको सोलर सिस्टम के प्राइस और उसके उपयोग के बारे में पता होना चाहिए।
“यदि आप बिजली कटौती की समस्या का सामना कर रहे हैं या आपके पास बेहतर ग्रिड नहीं है और आप अपना बिजली बिल भी कम करना चाहते हैं, तो आपको ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम चुनना चाहिए”।
घर के लिए बैटरी के साथ ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम का प्राइस 1kW रु. 69,699 से शुरू होता है। यह सोलर पैनल, सोलर इन्वर्टर सोलर बैटरी और स्ट्रक्चर के साथ घर, बिजनेस, स्कूल आदि के बेसिक लोड को चलाने के लिए कम्पलीट सोलर कॉम्बो हैं।
सोलर सिस्टम बैटरी प्राइस लिस्ट
यहां ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम के प्राइस की कम्पलीट लिस्ट है। विभिन्न कैपेसिटी वाले सोलर सिस्टम का सेल्लिंग प्राइस उनके सोलर प्राइस प्रति वाट के साथ किया गया है।
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम प्राइस का अनुमान लगाने के बाद, आपको उन कंपोनेंट्स के बारे में पता होना चाहिए। आप हर कॉम्पोनेन्ट के इम्पोर्टेंस को उसके कार्य पढ़ने के बाद ही समझ सकते हैं। इन कंपोनेंट्स की लिस्ट नीचे दी गयी है।
यह कंपोनेंट्स निरंतर पावर प्रदान करने के लिए कैसे कार्य करते हैं? इन कंपोनेंट्स की कार्य को नीचे दिए गए स्टेप्स के माध्यम से स्पष्ट रूप से समझाया गया है।
सोलर पैनल सूर्य की पावर को सोखते हैं और उसे DC पावर में कन्वर्ट करते हैं।
सोलर इन्वर्टर का उपयोग सोलर पैनल द्वारा जनरेट डीसी वोल्टेज को रेगुलेटेड करने और उसे AC में कन्वर्ट करने के लिए किया जाता हैं।सोलर इन्वर्टर पता लगता है कि सोलर पैनल द्वारा कितनी पावर का प्रोडक्शन किया जा रहा है।
यह पावर आपके घर के लोड को चलती हैं और एक्स्ट्रा बिजली सोलर बैटरी में स्टोर कर दी जाती हैं। बैटरी बैंक में स्टोर यह अतिरिक्त सोलर पावर आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग में लायी जाती है।
एक ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम इनस्टॉल करके आप बिजली की कटौती से बच सकते हैं इसके साथ ही आप अपने बिजली के बिल को शून्य तक कम कर सकते हैं। यह रूरल क्षेत्रों के लिए एक बेहतर वैकल्पिक बिजली स्रोत पेश करता है।
लाभ
यह उपयोग के अनुसार 6-48 घंटे का बैटरी बैकअप प्रदान करता है। क्युकी इसमें बिजली स्टोर की जा सकती है आप इसे कभी भी उपयोग कर सकते हैं।
इस तरह का सोलर सिस्टम आपकी सरकारी ग्रिड पर निर्भरता को कम करता हैं।
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम बिजली ग्रिड के बिना काम करता है। अब आपको बिजली के बिल का भुगतान नहीं करना पड़ेगा।
गर्मी की एक्सट्रीम मांग को पूरा करने के लिए इंस्टॉल सोलर सिस्टम एक मध्यम आकार के एयर कंडीशनिंग को भी पावर प्रदान कर सकता है।
इस सिस्टम की पेबैक अवधि 5-7 साल तक है। उसके बाद आपको कई सालों तक फ्री बिजली मिलती है।
हानि
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
जब बैटरी स्टोरेज फुल हो जाता है तो बिजली उपयोग में न होने पर सोलर नेट मीटरिंग की कोई संभावना नहीं है और बिजली की बर्बादी होती है।
सोलर बैटरी को 5 से 7 साल बाद बदलना पड़ सकता है।
ऑफ-ग्रिड सिस्टम इंस्टॉल करने के स्टेप्स
जब आप एक ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम इंस्टॉल करने का निर्णय लेते हैं तो अगला स्टेप्स स्थापना का होता है। जो प्रोफेशनल्स को सोलर सिस्टम इंस्टॉल करने की आवश्यकता के लिए कहते हैं, व्यक्तिगत स्टेप्स पर ध्यान केंद्रित करने से इसे आसान बना दिया गया है। नीचे उल्लिखित गाइडलाइन्स का उपयोग करके ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम के प्राइस को कम करने के लिए सिस्टम इंस्टॉल करें।
#1. अपने होम लोड की कैलकुलेशन करें
कोई भी निवेश करने से पहले, अपनी पावर जरूरतों की कैलकुलेशन करें। आपको प्रत्येक टाइप के लोड के बारे में पता होना चाहिए जिसमें शामिल हैं-
बेसिक लोड (एलईडी लाइट्स/चार्जिंग पॉइंट्स/फैन/आदि)
बड़े उपकरण (रेफ्रिजरेटर/इलेक्ट्रिक फर्नेस)
स्पेशल लोड (सोलर वॉटर हीटर/सोलर एसी)
लोड की कैलकुलेशन करना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। बस इन स्टेप्स को फॉलो करें-
उन सभी उपकरणों की एक लिस्ट तैयार करें जिन्हें आप सोलर सिस्टम का उपयोग करके चलाना चाहते हैं।
उस समय का अनुमान लगाएं जिसके लिए प्रत्येक उपकरण चलेगा।
स्पेसिफिकेशन चार्ट से प्रत्येक उपकरण की पावर रेटिंग का पता लगाएं।
फॉर्मूले का उपयोग करना – वाट ऑवर = रन टाइम × प्रोक्डट पावर रेटिंग,
आप प्रत्येक व्यक्तिगत गैजेट का वाट ऑवर पा सकते हैं।
#2. कंपोनेंट्स और ब्रांड का सिलेक्शन करें
कंपोनेंट्स और ब्रांडों का सिलेक्शन सावधानी से किया जाना चाहिए, यह ध्यान में रखते हुए कि निवेश वन-टाइम है। उपयुक्त कंपोनेंट्स का सिलेक्शन करने में आपकी सहायता के लिए, हमने प्रत्येक घटक के शीर्ष निर्माताओं को सूचीबद्ध किया है।
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम सबसे अच्छा काम तब करता है, जब इसे जमीन या छत पर सूरज की रोशनी वाली जगह पर इनस्टॉल किया जाता हैं। सोलर पैनल सही दिशा सूर्य के प्रकाश में की ओर झुके होने चाहिए। और सोलर पैनल लगाने के लिए स्टेप्स को फॉलो करें-
साइड्स पर स्थित बिंदु का उपयोग करके सोलर पैनल को स्टैंड पर लगाए।
पैनल के स्थित जंक्शन बॉक्स का पता लगाएं। जंक्शन बॉक्स में पोलेरिटी के दो संकेत (पॉजिटिव और नेगेटिव) हैं।
आपको पॉजिटिव के लिए लाल तार और नेगेटिव टर्मिनल कनेक्शन के लिए काले तार का उपयोग करना होगा।
#4. कंपोनेंट्स को कनेक्ट करें
क्युकी आपके घर के लिए आवश्यक सिस्टम कैपेसिटी आसानी से उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपकी आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक छोटा पैनल या बैटरी लगाने की आवश्यकता होगी। उसी उद्देश्य के लिए, आपको कंपोनेंट्स को समानांतर और सीरीज कनेक्शन में जोड़ना होगा।
#5. कंपोनेंट्स को वायर करें
वायरों के उद्देश्यों के लिए, आपको तांबे की वायर, मीटर, फ़्यूज़, ब्रेकर और एमसी 4 कनेक्टर से युक्त अपने टूलबॉक्स को बाहर रखना होगा।
दोनों उपकरणों के नेगेटिव वायरों को जोड़ने और फिर पॉजिटिव वायरों को जोड़ने के लिए चार्ज कंट्रोलर को बैटरी से अटैचमेंट करें।
अब कंट्रोलर को सोलर पैनल से जोड़ने के लिए वायरों का उपयोग करें। साथ ही, आपको यहां MC4 कनेक्टर की आवश्यकता होगी।
#8. ऑफ-ग्रिड सिस्टम पर सब्सिडी
सोलर पावर को बढ़ावा देने और भारत को सोलर क्षेत्र में आगे लाने के लिए सरकार सोलर पावर पर भारी सब्सिडी प्रदान कर रही है। आप ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम इंस्टॉल करके इस सब्सिडी प्रोग्राम का लाभ उठा सकते हैं। निचे सब्सिडी रेट्स हैं:
ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम बिजली कटौती से छुटकारा पाने वाले लोगों के लिए बेस्ट है यह सोलर सिस्टम उन लोगों के लिए अंतिम सॉलूशन है जो बिजली की कमी से परेशान हैं और जिनके पास रिलाएबल ग्रिड (सरकारी बिजली सप्लाई) नहीं है। यह सेल्फ डिपेंडेंट सिस्टम दिन रात बिजली की सप्लाई कर सकता है।
यह सिस्टम ग्रिड (मुख्य पावर ग्रिड) को ऑफ कर देता है जिसके हिसाब से आपके मासिक बिजली बिल में कमी देखने को मिलती है। इस सिस्टम के साथ आप देश के किसी भी हिस्से में बिना पावर ग्रिड के रह सकते है।
ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में आप सोलर पैनल द्वारा प्रोडूसेड अतिरिक्त बिजली को सोलर बैटरी में स्टोर कर सकते हैं। आप रात में या जब पैनल बिजली जनरेट नहीं कर रहे हों, तब संग्रहीत बिजली का उपयोग कर सकते हैं।
यह आपके आवश्यक बैटरी बैकअप पर निर्भर करता है। 1kW सोलर सिस्टम के लिए 150 AH की 2 बैटरियों की जरूरत होती है। यदि आप अधिक बैटरी बैकअप चाहते हैं तो आपको अधिक बैटरी ठीक करने की आवश्यकता है।
बैटरी बैकअप समय आपकी खपत या कनेक्टेड लोड पर निर्भर करता है। सोलर बैटरी का औसत बैटरी बैकअप 4-8 घंटे के लिए डिज़ाइन किया गया है। यदि आप अपना बेसिक लोड चला रहे हैं तो यह अधिक बैकअप प्रदान करता है और यदि आप अपने भारी लोड को जोड़ रहे हैं तो बैकअप समय कम हो जाएगा।
सोलर में कई प्रेस्टिजियस ब्रांड हैं जैसे लुमिनस सोलर, हैवेल्स सोलर, सुकम सोलर और भी बहुत कुछ। इन मनुफक्चरर्स के सभी सोलर प्रोडक्ट्स अपने तरीके से बेस्ट हैं। आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी सोलर ब्रांड चुन सकते हैं।
MPPT सोलर इन्वर्टर 96% तक बिजली को प्रोड्यूस कर सकता है जबकि PWM सोलर इनवर्टर कुल बिजली का केवल 70% प्रोड्यूस कर सकता है। तो कम्पेरेटिव रूप से MPPT इन्वर्टर PWM इन्वर्टर से बेहतर है।
सोलर रेगुलेटर को चार्ज कंट्रोलर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो मौजूदा या नॉन-सोलर बैटरी में पासिंग होने वाली बिजली के वोल्टेज को कंट्रोल करता है।
हां, आपको एक ही ब्रांड का पूरा सिस्टम खरीदना चाहिए। रीज़न: (1) बिक्री के बाद सेवा के संबंध में आपको कभी भी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। एक ही कंपनी आपको सोलर पैनल, इन्वर्टर और बैटरी से संबंधित सोलूशन्स प्रोवाइड कराएगी। (2) यदि आप विभिन्न ब्रांडों से सोलर कंपोनेंट्स खरीदते हैं तो आपको अधिक GST देना होगा क्योंकि यह सोलर बैटरी पर 28%, इन्वर्टर पर 18% और सोलर पैनल पर 5% है, लेकिन कम्पलीट सोलर सिस्टम पर यह केवल 5% है।