सोलर पैनल को फोटो-वोल्टाइक सोलर मॉड्यूल, सोलर प्लेट और सोलर ऊर्जा पैनल के रूप में भी जाना जाता है। सोलर पैनल 60-72 सोलर सेल के एक समूह के साथ बने होते हैं जो सूर्य के प्रकाश को बिजली में बदलते हैं। सोलर सेल को सिलिकॉन के साथ वेफर्स में कटौती करके बनाया जाता है।
सोलर पैनल फ़ोटो
एक या अधिक सोलर पैनल सोलर सिस्टम बनाता है जिसका उपयोग घरों, कंपनियों, स्कूलों, उद्योगों आदि में किया जा सकता है। सोलर पैनल सोलर सिस्टम का मुख्य हिस्सा है और सभी प्रकार के सोलर सिस्टम (ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम, ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम और हाइब्रिड सोलर सिस्टम) में एक ही प्रकार का सोलर पैनल होता है।
सोलर पैनल के प्रकार
सोलर पैनल कई टाइप और कैपेसिटी में उपलब्ध हैं! ये सोलर पैनल एक दुसरे से उनकी फार्मेशन, मटेरियल इत्यादि के बेसिस पर अलग हैं! आपको सोलर पैनल के टाइप के बारे में जानकारी देने के लिए हमने सभी टाइप के सोलर पैनल का संक्षिप्त वर्णन निचे दिया हैं!
उपरोक्त सोलर पैनल में से थिन फिल्म सोलर पैनल अब भारत में प्रचलित नही हैं! सभी तरह के कमर्शियल सोलर सिस्टम और होम सोलर सिस्टम में केवल पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल और मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का ही इस्तेमाल होता हैं!
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
Polycrystalline Solar Panel
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे कॉमन टाइप के सोलर पैनल हैं! इन सोलर पेनल्स का एफिशिएंसी रेट लगभग 16%-17% के करीब हैं! यह सोलर पैनल हर तरह के मौसम में काम करने के लिए सबसे बेस्ट हैं! पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की मैन्युफैक्चरिंग के लिए लो प्यूरिटी के सिलिकॉन को इस्तेमाल किया जाता हैं!
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल के बारे में डिटेल में जाने:
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल दुसरे नंबर पर आने वाले सबसे सफल सोलर पैनल हैं! मोनो पेल को हाई क्वालिटी सिलिकॉन से बनाया जाता हैं! इन सोलर पैनल की एफिशिएंसी रेट पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से थोड़ी अधिक (19%-20%) हैं! इन सोलर पैनल की सतह देखने में काले रंग की होती हैं!
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल के बारे में और अधिक विस्तार से जाने:
थिन फिल्म सोलर पैनल को बनाने के लिए कई तरह के एलेमेंट्स का स्तेमाल किया जाता हैं! थिन फिल्म सोलर पैनल वजन में हलके और देखने में पतले होते हैं! इस तरह के सोलर पैनल का इस्तेमाल अब इंडिया में नही किया जाता!
नोट: थिन फिल्म सोलर पेनल्स अब प्रचलन से बाहर हो चुके हैं! इनका इस्तेमाल भारत में अब और नही किया जाता!
पॉली V/s मोनो क्रिस्टलाइन पैनल
पॉली और मोनो क्रिस्टलाइन सोलर पैनल दोनों ही बेस्ट सोलर पैनल हैं! लेकिन फिर भी जब सोलर पैनल खरीदने की बात आती हैं तो लोगो को अक्सर इनमे से एक पैनल चुनने में काफी दिक्कत आती हैं! आपकी इस दुविधा को हल करने के लिए हमने दोनों तरह के सोलर पैनल के बीच एक तुलनात्मक टेबल निचे दिया हैं!
Type of solar panel – mono and poly panels
पॉली और मोनो क्रिस्टलाइन पैनल में अंतर
पाली क्रिस्टलाइन सोलरपैनल
मोनो क्रिस्टलाइन सोलरपैनल
कम लागत
पैनल की एफिशिएंसी 17% तक
रंग में नीला है
इसमें छत की जगह अधिक होती है
खराब मौसम में कम एफिशिएंसी
महंगा सोलर पैनल
पैनल की एफिशिएंसी 20% तक
देखने में काले रंग का लगता है
इसमें छत की जगह कम होती है
कम रोशनी में भी बेहतर एफिशिएंसी
किस प्रकार का सोलर पैनल सबसे अच्छा है?
सोलर पैनल एफिशिएंसी किसी क्षेत्र में “सूर्य के प्रकाश की मात्रा को बिजली में परिवर्तित” को प्रदर्शित करती है। दो प्रकार के सोलर पैनल के तहत, मोनो क्रिस्टलाइन श्रेष्ठ हैं।
मोनो क्रिस्टलाइन पैनल की अधिकतम एफिशिएंसी 20% तक होती है, इसके लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। लेकिन पाली-क्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तुलना में थोड़ा महंगा। 100 वाट पॉली और मोनो क्रिस्टलाइन पैनल समान मात्रा में बिजली उत्पन्न करेगा लेकिन मोनो-क्रिस्टलाइन पैनल पाली-क्रिस्टलाइन पैनल की तुलना में कम जगह लेगा।
मोनो क्रिस्टलाइन एफिशिएंसी – 20%
पाली-क्रिस्टलाइन एफिशिएंसी- 17%
सोलर पैनल एप्लीकेशन
सोलर पैनल नोर्मल्ली DC करंट पैदा करते हैं जो की कई तरह के एप्लीकेशन्स जैसे सोलर लाइट, सोलर सिस्टम, सोलर वाटर पंप और सोलर एयर कंडीशनर इत्यादि में इस्तेमाल की जाती हैं! इन एप्लीकेशन्स का डिटेल में वर्णन निचे किया गया हैं!
आमतौर पर 300 वाट सोलर पैनल और उससे अधिक वाट के सोलर पैनल ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम में उपयोग किए जाते हैं। ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम की रेंज होम सोलर के लिए 1 किलोवाट 10 किलोवाट तक और कमर्शियल सोलर सिस्टम में 15 किलोवाट से 100 किलोवाट तक होती हैं!
आम तौर पर 300 वाट और उससे ऊपर के सोलर पैनलों का उपयोग हाइब्रिड सोलर सिस्टम में किया जाता है! हाइब्रिड सोलर सिस्टम 3 किलोवाट से शुरू होते है।
सोलर पंप
सोलर वाटर पंप की रेंज 1 HP (3 पैनल) से शुरू होकर 10 HP सोलर वाटर पंप तक है। इन सोलर पंपों में उच्च रेटिंग सोलर पैनल (330 वाट) का उपयोग किया जाता है।
सोलर ए.सी
सोलर ए.सी 300 वाट से ऊपर के सोलर पैनल पर चलाया जा सकता है और साथ ही सोलर पैनल बैटरी बैंक को भी चार्ज करेगा।
सोलर पैनल की कीमत
सोलर पैनल को खरीदते समय सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बाते यह होती हैं की, “सोलर पैनल की कीमत क्या हैं?” सामान्यतः सोलर पैनल की कीमत को सोलर प्राइस प्रति वाट में मापा जाता है! सोलर पैनल के उपर की गयी इन्वेस्टमेंट एक बड़ी और वन टाइम इन्वेस्टमेंट के जैसी हैं! इसलिए अगर आप सोलर पैनल अपने घर या बिज़नस के लिए खरीदने की सोच रहें हैं तो आपको इनकी कीमत का पता होना चाहिए! आपकी सुविधा के लिए हमने सोलर पैनल की कीमत को निचे लिस्ट के रूप में दिखाया हैं!
Solar panel cost
सामान्य सोलर पैनल प्राइस लिस्ट 2020
यहाँ सामान्य का मतलब अच्छी क्वालिटी के सोलर ब्रांड्स से हैं जिनके बारे में शायद आप पहले से ही जानते हों! भारत में केवल कुछ ही सोलर निर्माता हैं जो बेस्ट प्राइस पर सबसे बढ़िया क्वालिटी के सोलर पैनल उपलब्ध करवाते हैं! इन निर्माताओं की लिस्ट में विक्रम सोलर, वारी सोलर, अदानी सोलर, जैक्सन सोलर इत्यादि का नाम आता हैं और इनके सोलर पैनल की कीमत 22 रुपये प्रति वाट से शुरू होकर इनकी गुणवत्ता, मात्रा, आकार, एफिशिएंसी और ब्रांड के आधार पर 36 रूपये प्रति वाट तक होती है।
बड़े सोलर ब्रांड्स के सोलर पैनल की प्राइस लिस्ट 2020
इस प्राइस लिस्ट में सभी प्रतिष्ठित ब्रांड जैसे टाटा सोलर, उषा सोलर, लुमिनस सोलर, हैवेल्स सोलर आदि के लिए सोलर पैनल की कीमत शामिल है। इन निर्माताओं की कीमत 28 रूपए से शुरू होकर 40 रूपये तक जाती हैं!
हमने भारतीय बाजार में उपलब्ध शीर्ष सोलर पैनल ब्रांडों के लिए मूल्य की आपस में तुलना की हैं। टाटा सोलर, लुमिनस सोलर, हैवेल्स सोलर, विक्रम सोलर और वारी सोलर पैनलों के बीच मूल्य तुलना निम्नलिखित हैं!
सोलर पैनल महंगे होते हैं, भारी निवेश की आवश्यकता होती है।
स्थापना के लिए सोलर पैनलों को बड़ी छाया मुक्त की आवश्यकता होती है।
सप्ताह में एक बार नियमित रूप से सफाई की आवश्यकता होती है।
सोलर पैनल का आकार
एक सोलर पैनल का आकार सोलर ब्रांड और उसकी कैपेसिटी के अनुसार अलग अलग होता हैं! परन्तु बड़ी कैपेसिटी के सोलर पैनल (100 वाट से अधिक) का आकार 1 मीटर X 2 मीटर होता हैं और 1 किलोवाट सोलर सिस्टम में तीन सोलर पैनल होते हैं। 1 किलोवाट सोलर पैनल को स्थापित करने के लिए 6 वर्ग मीटर क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
हमने नीचे चरणों में सोलर पैनल की स्थापना के लिए एक गाइड बनाया है:
चरण – 1: अपने लोड / उपभोग की गणना करें
चरण – 2: सोलर पैनल सिस्टम के टाइप का चुनाव करें।
चरण – 3: सोलर ब्रांड तय करें।
चरण – 4: साइट पर आने के लिए डीलरों को आमंत्रित करें।
चरण – 5: डीलरों से विस्तृत कोटेशन भेजने के लिए कहें।
चरण – 6: मूल्य, गुणवत्ता और सेवाओं की तुलना करें।
चरण – 7: नेट-मीटरिंग सहित पुरे सोलर सिस्टम के लिए आर्डर प्लेस करें!
चरण – 8: सोलर पैनल क्लीनिंग किट के साथ नियमित सफाई।
नोट: सोलर पैनल के इंस्टालेशन के बारे में और अधिक जानने के लिए आप हमारे सोलर इंस्टालेशन गाइड पेज पर जाये!
सोलर पैनल बाइंग गाइड
Solar Expert Recommendation
जैसा कि आप जानते हैं, मुख्य रूप से दो प्रकार के सोलर पैनल हैं – मोनो और पॉली क्रिस्टल सोलर पैनल। दोनों पैनल अपनी एफिशिएंसी स्तर, कीमत, ब्रांड आदि के लिहाज से एक-दूसरे से अलग हैं। यदि आप अभी भी अपने घर और व्यवसाय के लिए सबसे अच्छे प्रकार के सोलर पैनल के बारे में कंफ्यूज हैं, तो आपको सोलर एक्सपर्ट द्वारा सुझाए गए निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना चाहिए।
आपके द्वारा किये जाने वाली बिजली की खपत को जानने के बाद ही सोलर पैनल खरीदें।
कीमत के बारे में चिंता न करें क्योंकि यह एक बार का निवेश है और आप नेट मीटरिंग या बिजली के बिल में कमी के माध्यम से 3 से 5 साल के भीतर अपना निवेश वापस पा लेंगे।
हमेशा टाटा सोलर, लुमिनस सोलर इत्यादि जैसे क्वालिटी ब्रांड के सोलर पैनल का चयन करें। इसके अतिरिक्त विक्रम सोलर, वारी सोलर, अदानी सोलर जैसे अन्य सोलर ब्रांड भी हैं।
सोलर विशेषज्ञों के अनुसार, मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की दक्षता का स्तर पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से अधिक है।
यदि संभव हो, तो हमेशा सोलर एक्सपर्ट द्वारा साइट विजिट के बाद ऑफ़लाइन ही सोलर पैनल खरीदें।
सोलर सिस्टम के अन्य उपकरण जैसे सोलर इन्वर्टर, सोलर बैटरी आदि भी आपको एक ही ब्रांड के खरीदने चाहिए।
सोलर पैनल का रखरखाव
सोलर पैनल एक कम रखरखाव वाला प्रोडक्ट है। हालांकि, सोलर पैनल पर जमा होने वाले धूल कणों को हटाने के लिए नियमित रूप से सोलर पैनल को साफ करना अनिवार्य है। हम सोलर पैनल को साफ करने के लिए सोलर पैनल क्लीनिंग किट का उपयोग करने की सलाह देते हैं।
सोलर पैनल का साफ रखरखाव
सोलर पेनल की सफाई के लिए क्लीनिंग किट
सोलर पैनल के बारे में सामान्य प्रश्न
सोलर पैनल कैसे काम करते हैं?
सोलर पैनलों सूरज की रौशनी को बिजली में परिवर्तित करता है। सोलर पैनल बिजली का डीसी (डायरेक्ट करंट) रूप उत्पन्न करता है और घरों में AC बिजली का उपयोग किया जाता हैं, इस डायरेक्ट करंट को AC करंट में बदलने के लिए एक सोलर इन्वर्टर इनस्टॉल किया जाता है।
क्या सोलर पैनल एयर कंडीशनर या AC चला सकते हैं?
हां, लेकिन सीधे नहीं। आप सोलर सिस्टम पर किसी भी साइज़ के एयर कंडीशनर चला सकते हैं! यदि आप केवल एसी के लिए सोलर पैनल लगाने जा रहे हैं, तो हम आपको सोलर एसी खरीदने की सलाह देते हैं।
आम तौर पर कंप्यूटर सेंटर में 10 से 15 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 4 पंखे, 1 कूलर और 4 ट्यूब लाइट होते हैं! आप 3 किलोवाट सोलर सिस्टम का चुनाव करके अपना कंप्यूटर सेंटर चला सकते हैं।
भारत में सोलर पैनल की इंस्टालेशन कास्ट कितनी है?
सोलर पैनल की इंस्टालेशन कास्ट 2 रु प्रति वाट रुपये से 10 प्रति वाट है । सोलर पैनल की इंस्टालेशन लागत स्थान और सोलर सिस्टम के प्रकार और उसकी क्षमता पर निर्भर करता है।
सोलर पैनल स्थापित करने के लिए छत के स्थान की कितनी आवश्यकता है?
सोलर पैनल सीधे आपकी छत पर नहीं लगाए जाते हैं, सोलर पैनल स्ट्रक्चर पर लगते हैं जिन्हें आपकी छत के हिसाब से कस्टमाइज किया जा सकता है। यदि उचित धूप हो तो हाँ, सोलर पैनल किसी भी तरह की छत के लिए उपयुक्त हैं।
क्या मैं सोलर पैनल से सीधे पंखा चला सकता हूं?
हां, डीसी पंखे को सोलर चार्ज कंट्रोलर के जरिए सीधे सोलर पैनल पर चलाया जा सकता है। एसी पंखे के मामले में, सोलर इन्वर्टर इनस्टॉल करने के बाद आप कोई भी उपकरण चला सकते हैं।
सोलर पैनल के रखरखाव पर कितना खर्च होता है?
हालांकि सोलर पैनल एक कम-रखरखाव वाला उत्पाद हैं! सोलर पैनल पर जमा होने वाले धूल कणों को हटाने के लिए नियमित रूप से सोलर पैनल को साफ करना अनिवार्य है। इसके लिए आप सोलर पैनल क्लीनिंग किट का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसकी कीमत 20,000 रूपये से शुरू होती हैं!
एक सोलर पैनल का औसत जीवनकाल क्या है?
भारत में टॉप सोलर ब्रांड्स 25 साल की वारंटी के साथ सोलर पैनल निर्मित करते हैं। हालांकि सोलर पैनल की ब्रांड और गुणवत्ता के आधार पर, सोलर पैनल की उम्र 30-40 वर्ष तक हो सकती है।